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‘ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते’, G7 देशों के बयान पर Iran का पलटवार, यूरेनियम संवर्धन नहीं रुकेगा

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Posted On:Tuesday, July 1, 2025

ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक बार फिर से वैश्विक बहस के केंद्र में है। दुनिया के सात सबसे प्रभावशाली देशों के समूह G7 ने ईरान से परमाणु कार्यक्रम को लेकर बातचीत फिर से शुरू करने की मांग की है। G7 देशों ने दोहराया है कि ईरान को किसी भी हाल में परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। वहीं, ईरान ने G7 के इस संयुक्त बयान को सिरे से खारिज करते हुए पलटवार किया है कि वह अपने संवैधानिक अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा और यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment) जारी रखेगा।


G7 देशों की चेतावनी: “ईरान परमाणु हथियार ना बनाए”

25 जून 2025 को हेग में आयोजित G7 देशों की विदेश मंत्रियों की अहम बैठक के बाद 30 जून को एक संयुक्त बयान (Joint Statement) जारी किया गया। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने ईरान से कहा कि:

  • वह यूरेनियम संवर्धन पर रोक लगाए

  • ईरान को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के नियमों का पालन करना चाहिए।

  • वह IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के साथ सहयोग बढ़ाए।

  • क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए ईरान-इजरायल युद्धविराम का समर्थन करता है।

G7 देशों ने यह भी साफ किया कि वे इजरायल को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार देते हैं और उसकी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। इस दौरान सभी देशों ने एक बार फिर JCPOA (Joint Comprehensive Plan of Action) जैसे समझौते को बहाल करने की बात की, ताकि एक स्थायी समाधान निकाला जा सके।


ईरान का कड़ा जवाब: “हम संवर्धन रोकने वाले नहीं”

G7 देशों के इस बयान पर ईरान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद इरावानी ने स्पष्ट कहा कि:

“ईरान का यूरेनियम संवर्धन उसका संवैधानिक और वैश्विक अधिकार है, जिसे न छीना जा सकता है और न ही किसी को सौंपा जा सकता है।”

ईरान ने कहा कि वह NPT संधि के तहत परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का अधिकार रखता है, और वह बाहरी दबावों के बावजूद संवर्धन बंद नहीं करेगा। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि ईरान अब किसी भी बिना शर्त बातचीत के लिए तैयार नहीं है। यदि बातचीत होती है तो परिस्थिति, समय और सम्मानजनक शर्तें जरूरी होंगी।


ईरान-इजरायल तनाव की पृष्ठभूमि

हाल के वर्षों में ईरान और इजरायल के बीच तनाव तेजी से बढ़ा है। अप्रैल 2025 में दोनों देशों के बीच मिसाइल हमलों और जवाबी सैन्य कार्रवाई के बाद सीमित युद्ध जैसे हालात बन गए थे। हालांकि बाद में युद्धविराम की घोषणा की गई थी, लेकिन तनाव अभी भी कायम है।

इसी बीच ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर अमेरिका और इजरायल, चिंतित हैं। इनका मानना है कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बनाने की दिशा में बढ़ रहा है, जबकि ईरान लगातार इस आरोप को नकारता रहा है।


परमाणु समझौते की स्थिति क्या है?

2015 में हुआ JCPOA (ईरान न्यूक्लियर डील) एक ऐतिहासिक समझौता था, जिसमें ईरान ने यूरेनियम संवर्धन सीमित करने का वादा किया था और बदले में अमेरिका समेत अन्य देशों ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध हटाए थे। लेकिन 2018 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति रहते अमेरिका इस समझौते से बाहर हो गया। इसके बाद से ही यह समझौता अधर में लटका हुआ है।

अब G7 देश चाहते हैं कि बातचीत फिर से शुरू हो, ताकि क्षेत्रीय शांति बहाल हो और परमाणु हथियारों का प्रसार रोका जा सके।


क्या है ‘यूरेनियम संवर्धन’ और क्यों है विवाद?

यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment) वह प्रक्रिया है जिसमें यूरेनियम को इस स्तर तक परिष्कृत किया जाता है कि वह नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र या परमाणु हथियारों में इस्तेमाल हो सके। आम तौर पर ऊर्जा उत्पादन के लिए 3-5% संवर्धन पर्याप्त होता है, जबकि परमाणु हथियारों के लिए 90% से ऊपर संवर्धन की जरूरत होती है।

IAEA की रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान अब तक 60% तक संवर्धन कर चुका है, जो बेहद संवेदनशील स्तर माना जाता है।


आगे क्या हो सकता है?

  • अगर ईरान बातचीत को नकारता रहा और संवर्धन बढ़ाता गया, तो इजरायल और अमेरिका सैन्य विकल्पों पर विचार कर सकते हैं।

  • यह स्थिति मध्य पूर्व में बड़ा युद्ध भी छेड़ सकती है।

  • भारत, चीन और रूस जैसे देश भी अपनी रणनीति को लेकर सजग हो सकते हैं क्योंकि उनका निवेश और कूटनीतिक हित इस क्षेत्र में जुड़े हैं।


निष्कर्ष

G7 देशों की चेतावनी और ईरान का पलटवार मध्य पूर्व की शांति के लिए खतरे की घंटी है। एक ओर जहां पश्चिमी देश ईरान को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं ईरान अपने अधिकारों की बात करते हुए कोई झुकाव नहीं दिखा रहा है।

अगर जल्द ही डिप्लोमैटिक समाधान नहीं निकाला गया, तो परमाणु संकट एक बार फिर वैश्विक अस्थिरता का कारण बन सकता है — जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है।

शांति की उम्मीद अब कूटनीति और संयम पर टिकी है।


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